उर्जा

उत्तर प्रदेश के मतदाता सौर ऊर्जा के पक्ष में, लेकिन चुनाव में इसकी चर्चा तक नहीं

चल रहे विधानसभा चुनाव में मतदाताओं का एक भारी बहुमत सौर ऊर्जा का पक्षधर है, लेकिन राज्य सरकार इसके लक्ष्य से काफी पीछे है।
हिन्दी
<p>UP first all-women mosque, in Lucknow,  has gone solar using panels gifted by 8Minutes</p>

UP first all-women mosque, in Lucknow, has gone solar using panels gifted by 8Minutes

भारत का सर्वाधिक आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश जो कि एक नई सरकार चुनने जा रहा है, के एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि मतदाताओं का एक बहुसंख्यक सौर ऊर्जा के समर्थन में है। गंगा और यमुना की उपजाऊ नदी घाटियों पर स्थित उत्तर प्रदेश की आबादी 20 करोड़ है, जो ब्रिटेन की जनसंख्या का तीन गुना है। विधानसभा चुनावों में 14 करोड़ से अधिक मतदाताओं वाले राज्य में लोग पर्यावरण के विभिन्न मुद्दों के साथ लड रहे हैं, जिसमें मौजूदा प्रमुख मुख्य जल और वायु प्रदूषण है, जबकि वे लोग लंबे समय की बिजली कटौती से परेशान है।

सर्वे के अनुसार 87 प्रतिशत मतदाताओं ने कहा अगर सौर ऊर्जा उनके समुदाय में प्रदूषण घटाती है, तो वे सौर ऊर्जा को चुनना पसंद करेंगे। यह विश्लेषण 24 से 31 जनवरी के बीच हुए उत्तर प्रदेश के 2,513 मतदाताओं के टेलीफोन सर्वे का परिणाम है।

सार्वजनिक परिवहन के लिए समर्थन

सर्वक्षण किए गए लोगों में से 94 प्रतिशत लोगों ने कहा अगर बस या सार्वजनिक परिवहन के साधनों में सुधार हुआ, तो वे उनका प्रयोग करेंगे। यह सर्वे सौर ऊर्जा कंपनी 8 मिनिट फ्यूचर एनर्जी लिमिटेड द्वारा प्रमाणित और एक मतदान सर्वेक्षक फोर्थलायन टेक्नोलॉजीज व देश के पहले डेटा जनर्लिज्म इंडियास्पेंड द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया है।

इंडियास्पेंड के संपादक समर हालर्नकर ने कहा, “अगर उत्तर प्रदेश एक स्वतंत्र देश होता, तो जनसंख्या के आधार पर यह विश्व का छठा सबसे बड़ा देश होता। हमारे सैंपल के पंजीकृत मतदाताओं में से 87 प्रतिशत ने कहा अगर सौर ऊर्जा प्रदूषण को घटाने में मददगार है, तो वह उसे प्रयोग करेंगे। यह न केवल जलवायु अभियान प्रचारकों और संगठनों के लिए अच्छी खबर है, बल्कि और अधिक अच्छे सौर ऊर्जा परियोजनाओ की इच्छा को दर्शाता है।”

उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री का चुनाव क्षेत्र वाराणसी शहर उत्तर प्रदेश में है, जिसे गंभीर रूप से प्रदूषित शहरों में वर्गीकृत किया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व की 20 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से चार उत्तर प्रदेश में हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यहां की हवा दिल्ली की तुलना में खराब या उससे भी खराब हो सकती है।

26 प्रतिशत ग्रामीण मतदाताओं की तुलना में 46 फीसदी शहरी मतदाताओं ने कहा कि उनके क्षेत्र की हवा प्रदूषित है। दिलचस्प बात यह है कि कारधारकों (73 फीसदी) की तुलना में दोपहिया चालकों (85 फीसदी ने पक्षधर) और कोई भी वाहन
न रखने वाले लोगों (90 फीसदी पक्षधर) ने सौर ऊर्जा का अधिक समर्थन किया।

आय में अंतर के आधार पर इस विभाजन पर बात करने पर 8मिनिट के विपणन और भागीदारी प्रमुख अर्जुन श्रीहरि ने इंडियाक्लाइमेटडाइलोग डॉट नेट को बताया, “यह अंतर शायद इसलिए है क्योंकि शहरों में रहने वाले लोग वातानुकूलित कमरों में वायु शोधकों के साथ रहते हैं और प्रत्यक्ष रूप से प्रदूषण से इतना प्रभावित नहीं होते हैं जितना कि गरीब लोग, जो बिना किसी बाधक के और सीधे तौर पर प्रदूषित हवा को श्वास के रूप में लेते हैं।

इसके साथ ही, 38 फीसदी मतदाताओं ने कहा वे प्रतिदिन बिजली कटौती को झेलते हैं और 54 प्रतिशत लोगों ने कहा सप्ताह में कम से कम एक बार कटौती होती है, जबकि 26 फीसदी लोगों ने कहा कोई कटौती नहीं होती है।

स्वच्छ ऊर्जा को विकसित करने की जरूरत

भारत की कोयला आधारित बिजली उत्पादन संयंत्रों का 10 फीसदी हिस्सा उत्तर प्रदेश के साथ इंडो-गैंगनटिक बेल्ट में है। ये सब के सब गंगा के आस-पास स्थित हैं और आंशिक रूप से प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं। अभी भी राज्य मुख्य रूप से बिजली कटौती की समस्या से जूझ रहा है, जोकि एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा है, यह और तथ्यों को देखते हुए राज्य में स्वच्छ ऊर्जा
को विकसित करने और सौर ऊर्जा क्षमता बढ़ाना की स्पष्ट जरूरत और गुंजाइश है।

इसके बावजूद, सौर ऊर्जा विकास अन्य कई राज्यों से पिछड़ा हुआ है। वित्तीय विश्लेषक फर्म इक्वीटोरियल्स की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश मार्च 2017 तक 1.8 गीगा वॉट (GW) सौर ऊर्जा स्थापित करने के अपने लक्ष्य का मात्र 13.1 फीसदी ही हासिल कर पाया है। इस रिपोर्ट को सर्वेक्षण के निष्कर्षों के साथ जारी किया गया है।

विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने घोषणापत्रों में स्वच्छ वायु और स्वच्छ ऊर्जा के मुददों को शामिल किया है, लेकिन अभियान के दौरान इन मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं की जाती है। श्रीहरि ने कहा, ”इस सर्वेक्षण के माध्यम से हम आशा करते हैं कि सौर ऊर्जा को विकसित करने का यह महत्वपूर्ण मुद्दा राजनीतिक बहस का हिस्सा बनें।

सभी महिलाओं को सौर मस्जिद

इसी दौरान, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भारत की पहली महिलाओं की मस्जिद ने सौर ऊर्जा का प्रचार के द्वारा एक रास्ता दिखाया है। सिंघरौली से मात्र 500 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अंबर मस्जिद के पास 20 गीगावॉट की कोयला आधारित बिजली क्षमता है, जो कि अब पूरी तरह 8मिनिट द्वारा छत पर स्थापित एक किलोवॉट की सौर ऊर्जा के माध्यम से चलता है। यह मस्जिद न केवल ग्रिड में अतिरिक्त बिजली देगा, बल्कि कॉर्बन के निशान भी घटाएगा।

पितृतंत्र को चुनौती देने के लिए इस मस्जिद की शुरू करने और अभी हरियाली के लिए अभियान चलाने वाली शाइस्ता अंबर ने एक जन संदेश में कहा, “पिछले कुछ सालों से, हवा की गुणवत्ता काफी खराब हो गई है, जबकि उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में निरंतर बिजली कटौती की समस्या बरकरार है, यही कारण है कि मस्जिद में सौर पैनल की स्थापना की गई। इन सब के लिए हम सभी दोषी हैं और बिजली की पहुंच और वायु की गुणवत्ता में सुधार के लिए हम सभी को अपने हिस्से का प्रयास करना चाहिए। सभी के पास स्वच्छ वायु और स्वच्छ बिजली की पहुंच होनी चाहिए। कोयला आधारित बिजली उत्पादन संयंत्रों की तरह सौर ऊर्जा से उत्पादित बिजली के कारण वायु प्रदूषण नहीं होता है। अगर प्रत्येक व्यक्ति सौर ऊर्जा का प्रयोग करना शुरू कर दे, तो लखनऊ की हवा की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ बिजली कटौती भी कम होने लगेगी।

चल रहे राजनैतिक अभियानों में वायु प्रदूषण और स्वच्छ ऊर्जा जैसे पर्यावरणीय मुद्दों के नामौजूदगी के बारे में बात करने पर अंबर ने thethirdpole.net से कहा, “यह एक बड़ा सवाल है कि क्यों राजनेता इन महत्वपूर्ण मुद्दों के आधार पर वोट नहीं मांग रहे हैं। यहां मतदान केवल जाति, धार्मिक भावनाओं और अन्य चीजों के आधार पर होता है, जबकि असल मुद्दे गायब होते जा रहे हैं। इसके लिए मतदाता और राजनेता दोनों समान रूप से जिम्मेदार हैं।