जलवायु

भारत में आयोजित विश्व कप क्रिकेट जलवायु प्रभावों को रेखांकित करता है

भारत में हाल ही में आयोजित आईसीसी पुरुष क्रिकेट विश्व कप के दौरान गर्मी और उमस ने खिलाड़ियों पर भारी असर डाला। ऐेसे में सवाल यह है कि गर्म होती दुनिया में क्रिकेट का भविष्य क्या है?
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<p>भारत में हाल ही में आयोजित आईसीसी पुरुष क्रिकेट विश्व कप के दौरान गर्मी और उमस ने खिलाड़ियों पर भारी असर डाला। ऐेसे में सवाल यह है कि गर्म होती दुनिया में क्रिकेट का भविष्य क्या है? (फोटो: सुरजीत यादव / अलामी)</p>

भारत में हाल ही में आयोजित आईसीसी पुरुष क्रिकेट विश्व कप के दौरान गर्मी और उमस ने खिलाड़ियों पर भारी असर डाला। ऐेसे में सवाल यह है कि गर्म होती दुनिया में क्रिकेट का भविष्य क्या है? (फोटो: सुरजीत यादव / अलामी)

क्रिकेट जगत आश्चर्यचकित होकर 7 नवंबर को मैच देख रहा था, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया के ग्लेन मैक्सवेल ने मैदान पर इतिहास रच दिया। अफगानिस्तान के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) पुरुष क्रिकेट विश्व कप में यह बल्लेबाज एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में दोहरा शतक जड़ने वाला पहला ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी बन गया। यह विशेष रूप से प्रभावशाली था, क्योंकि मैक्सवेल अपनी पारी के दौरान बीच में ही गिर गए थे, मांसपेशियों में ऐंठन के कारण उनका शरीर ऐंठ रहा था।

मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में, जहां मैच हो रहा था, यह एक उमस भरी शाम थी। मैक्सवेल ने बाद में बताया, “मैंने वास्तव में गर्मी में बहुत अधिक तीव्रता वाला व्यायाम नहीं किया था। आज निश्चित रूप से इसने मुझ पर काबू कर लिया।”

उस दिन, मुंबई में अधिकतम तापमान 34 डिग्री सेल्सियस और आर्द्रता का स्तर 84 फीसदी दर्ज किया गया। टिप्पणीकारों ने कहा कि यह टूर्नामेंट के सबसे गर्म दिनों में से एक था।

जब बाहर का तापमान गर्म और आर्द्र होता है तो शरीर को ठंडा करने के लिए केवल पसीना पर्याप्त नहीं होता है, क्योंकि पसीने का वाष्पीकरण नहीं होता है।
अभियंत तिवारी, भारत के प्राकृतिक संसाधन रक्षा परिषद के सलाहकार

भारत के प्राकृतिक संसाधन रक्षा परिषद में जलवायु लचीलापन प्रमुख और स्वास्थ्य सलाहकार अभियंत तिवारी कहते हैं, “जब बाहर का तापमान गर्म और आर्द्र होता है, तो शरीर को ठंडा करने के लिए केवल पसीना पर्याप्त नहीं होता है, क्योंकि पसीने का वाष्पीकरण नहीं होता है।”

रिपोर्टों में जलवायु परिवर्तन के कारण दक्षिण एशिया में अत्यधिक उमस भरी गर्मी की घटनाओं के जारी रहने की भविष्यवाणी की गई है, विशेषज्ञ ऐसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में खेलों के भविष्य पर सवाल उठा रहे हैं।

राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के पूर्व बल्लेबाजी कोच सीएस सुरेश कुमार कहते हैं, “(भारत में) गर्मी के कारण, (इस साल के क्रिकेट विश्व कप में) ऐंठन और डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) के मामले सामान्य से अधिक थे। गर्म मौसम के साथ उमस का मतलब है कि (खिलाड़ियों) के शरीर से पसीने के जरिये ज्यादा नमक बाहर निकलता है…जिससे शरीर में ऐंठन होती है।”

क्रिकेट खिलाड़ियों पर गर्मी का असर

8 अक्टूबर को चेन्नई के चेपॉक स्टेडियम में ऑस्ट्रेलिया बनाम भारत मैच के दौरान तापमान 33 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया और शाम में उमस 88 फीसदी के चरम स्तर पर पहुंच गई थी। जैसा कि 2019 की रिपोर्ट “हिट फॉर सिक्सः द् इम्पैक्ट ऑफ क्लाइमेट चेंज ऑन क्रिकेट” में बताया गया है, अमेरिकन कॉलेज ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन इन स्थितियों तक पहुंचने से बहुत पहले नियमित व्यायाम रोकने की सलाह देता हैः एक गर्म, शांत और धूप वाले दिन 30 डिग्री सेल्सियस तापमान और 35 फीसदी उमस वह स्थिति है, जिस सीमा पर खेल का आयोजन रद्द कर दिया जाना चाहिए।

न्यूजीलैंड के बल्लेबाज रचिन रवींद्र ने चेन्नई में अक्टूबर के दौरान अपने अनुभव के बारे में द् थर्ड पोल को बताया। खेलों में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने वाले यूनिसेफ के एक कार्यक्रम का हिस्सा रहे रवींद्र और उनके साथी खिलाड़ियों ने चेपॉक स्टेडियम में स्कूली बच्चों के साथ एक घंटे क्रिकेट खेलाः “जब मैं न्यूजीलैंड में क्रिकेट खेलता हूं, तो मुझे जरा सा भी पसीना नहीं आता। लेकिन यहां हम कुछ देर के लिए कुछ बच्चों के साथ खेल रहे थे और मैं भीग गया। यह निश्चित रूप से चुनौतीपूर्ण है।”

a cricketer plays a shot
दक्षिण अफ्रीका के डेविड मिलर 16 नवंबर को कोलकाता के ईडन गार्डन्स स्टेडियम में आईसीसी पुरुष क्रिकेट विश्व कप मैच के दौरान 87 फीसदी उमस के बीच खेलते हुए। अमेरिकन कॉलेज ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन ने उमस के 35 फीसदी तक पहुंचने पर खेल आयोजनों को रद्द करने की सिफारिश की है। (फोटो: दीपा चक्रवर्ती / अलामी)

जबकि गुजरात के अहमदाबाद में 15 नवंबर को टुर्नामेंट के सेमीफाइनल मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेलते हुए भारतीय खिलाड़ी विराट कोहली और शुभमन गिल को भी ऐंठन का शिकार होना पड़ाः गिल को फिर से बल्लेबाजी करने से पहले मैदान छोड़कर आराम करने के लिए जाना पड़ा; कोहली को सेमीफाइनल के बाद ठीक होने के लिए दो अभ्यास छोड़ना पड़ा

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के लिए क्लाइमेट एंड हीट हेल्थ के रिसर्च एसोसिएट साईं वेंकट शरत चंद्र कहते हैं, “जब उमस बहुत ज्यादा होती है, तो हवा मोटी हो जाती है और ऐसा लगता है कि आप स्टीम बाथ से होकर गुजर रहे हों, ऐसे में चलना-फिरना और सांस लेना मुश्किल हो जाता है। स्टीम बाथ में से आपको 20 मिनट बाद बाहर निकलने के लिए कहा जाता है, लेकिन इन मैचों में आप बाहर नहीं निकल सकते।”

विलंबित अनुकूलन

“हिट फॉर सिक्स” रिपोर्ट जलवायु विज्ञान एवं हीट फिजियोलॉजी को जोड़ती है, ताकि यह रेखांकित किया जा सके कि बढ़ता तापमान और निरंतर गर्म हवा (लू) कैसे खेल को बदल रही है। ऐसी परिस्थितियां खिलाड़ियों को खराब प्रदर्शन के लिए ज्यादा संवेदनशील बनाती हैं, जिससे मैच मे देरी और प्रतिभागियों में गर्मी के चलते थकावट व लू लगने (हीट स्ट्रोक) की आशंका बढ़ जाती है।

क्रिकेट की विशिष्ट जरूरत का मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों के संबंध में रिपोर्ट कहती है, “क्रीज पर एक दिन रहने की तुलना हेलमेट, ग्लव्स और पैड पहनकर मैराथन दौड़ने से की जा सकती है। और जब हवा का तापमान त्वचा के तापमान से ज्यादा होता है– आम तौर पर करीब 33-35 डिग्री सेल्सियस–तो केवल पसीना ही शरीर को गर्म होने से रोक सकता है। सुरक्षात्मक कपड़े और उच्च आर्द्रता इसे कम प्रभावी बनाती है।”

हालांकि क्रिकेट उच्च तापमान में खेला जाने वाला सबसे गहन शारीरिक खेल नहीं है, लेकिन यह सबसे लंबे समय तक खेले जाने वाले खेलों में से एक है। लेकिन अत्यधिक गर्मी और उमस में खेलने की शारीरिक चुनौतियों के बावजूद खिलाड़ियों को अक्सर मैदान पर बने रहने के लिए प्रेरित किया जाता है।

जब ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट के फिजियोथेरेपिस्ट निक जोन्स 7 नवंबर को मैदान पर पहुंचे और मैक्सवेल की मांसपेशियों को ढीला करने में मदद करने की कोशिश करने लगे, तो बल्लेबाज ने जोन्स से कहा कि उन्हें मैच से अवकाश लेने की जरूरत है। लेकिन बाद में यह बताया गया कि जोन्स ने इसके खिलाफ सलाह दी, क्योंकि मैक्सवेल को हटाना और उन परिस्थितियों में उन्हें ठंडा करने से उनके लिए खेल में फिर से शामिल होना शारीरिक रूप से असंभव हो जाता। 

क्रिकेट का भविष्य

6 दिसंबर, 2023 तक के रिकॉर्ड के अनुसार यह भारत के सबसे गर्म वर्षों में से एक होगा। अक्टूबर 2023 भारत का अब तक का तीसरा सबसे गर्म अक्टूबर था और देश के कई हिस्सों में सामान्य से कम वर्षा हुई।

अध्ययनों से पता चलता है कि यदि मानवता के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में थोड़ी कमी होती है, तो भारत में अत्यधिक गर्मी और अत्यधिक वायु प्रदूषण के संयोजन वाले दिनों की आवृत्ति 2050 तक 175 फीसदी तक बढ़ सकती है। इसका मतलब प्रति वर्ष लगभग 78 ऐसे दिन हो सकते हैं।

2018 में, क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने खेल और अपने खिलाड़ियों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए अपनी गर्मी की नीति बनाई। नीति में तापमान जनित जोखिम के सूचकांक शामिल है, जिसका उपयोग यह तय करने के लिए किया जा सकता है कि खेल सामान्य रूप से आगे बढ़ना चाहिए या नहीं। यह गर्मी से प्रेरित बीमारी के प्रबंधन और उपचार के बारे में दिशानिर्देश भी देता है।

भारत में क्रिकेट का भविष्य जलवायु द्वारा पेश की गई गर्मी की चुनौतियों को स्वीकार करने और उनका समाधान करने पर निर्भर करता है।
अंजल प्रकाश, आईपीसीसी लेखक और पब्लिक पॉलिसी रिसर्चर

नवंबर में, इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने एक खेल-व्यापी स्थिरता रणनीति जारी की। इसी तरह, इसमें खेल की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए खिलाड़ियों, दर्शकों, स्वयंसेवकों और कर्मचारियों को अत्यधिक गर्मी से बचाने के बारे में दिशानिर्देश शामिल हैं।

हालांकि, आईसीसी और भारतीय क्रिकेट परिषद बोर्ड सहित अन्य बोर्ड इसका पालन करने में धीमे रहे हैं।

अंजल प्रकाश कहते हैं, “क्रिकेट और जलवायु परिवर्तन एक-दूसरे से जुड़ी चिताओं के रूप में सामने आ रहे हैं। यहां तक कि बढ़ते तापमान के जोखिमों को झेलने वाले खिलाड़ी भी दीर्घकालीन जोखिमों को कम करके आंक रहे हैं।” अंजल प्रकाश जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) के लेखक और भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। उन्होंने आगे कहा, “भारत में क्रिकेट का भविष्य जलवायु द्वारा पेश की गई गर्मी की चुनौतियों को स्वीकार करने और उनका समाधान करने पर निर्भर करता है।”

द् थर्ड पोल ने वेस्ट इंडीज के पूर्व क्रिकेट कप्तान डेरेन गंगा से बात की, जो अब वेस्ट इंडीज विश्वविद्यालय के साथ मिलकर खेल पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन कर रहे हैं। 

उनका कहना है कि इसके लिए व्यावहारिक समाधान अपनाए जा सकते हैं, खराब मौसम के अनुकूल ढलने में समय लगता है, जो बड़े टूर्नामेंट में नहीं मिलता है। इसलिए हाइड्रेशन के पर्याप्त विकल्प होने चाहिए, ज्यादा ड्रिंक ब्रेक, स्टेडियम में कूलिंग की सुविधा, खिलाड़ियों की जर्सी का निर्माण पसीने को बाहर निकलने देने वाली सामग्रियों से किया जाना चाहिए और सबसे महत्वपूर्ण बात कि गर्मी की तीव्रता के आधार पर मैच को रद्द करने का प्रावधान होना चाहिए।

गंगा 2019 के न्यूयॉर्क सिटी ट्रायथलॉन के रद्द होने और इस वर्ष ऑस्ट्रेलियाई ओपन टेनिस टूर्नामेंट के दौरान कई मैचों के रद्द होने की तरफ इशारा करते हैं, यह सब चरम मौसम के कारण हुआ। इसके विपरीत, गंगा कहते हैं, “क्रिकेट अब भी ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से इनकार कर रहा है।”