icon/64x64/climate जलवायु

सलीम उल हक नहीं रहे, दुनिया ने खोया क्लाइमेट जस्टिस का मसीहा

द् थर्ड पोल के मित्र और योगदान देने वाले लेखक, हक उन अग्रणी आवाज़ों में से एक थे जो अनुकूलन के साथ-साथ हानि और क्षति को वैश्विक एजेंडे में रखने में सफल रहे।
<p>जून 2022 में अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण और विकास संस्थान में सलीमुल हक (छवि: IIED / फ़्लिकर, CC BY-NC-ND 2.0)</p>

जून 2022 में अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण और विकास संस्थान में सलीमुल हक (छवि: IIED / फ़्लिकर, CC BY-NC-ND 2.0)

जाने-माने जलवायु विशेषज्ञ सलीम उल हक, जिन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूल ढलने और लोगों को होने वाले लॉस एंड डैमेज के लिए भुगतान करने की सख़्त ज़रूरत पर दुनिया का ध्यान केंद्रित किया, अब इस दुनिया में नहीं रहें। 30 अक्टूबर की रात को ढाका में उनका निधन हो गया। वह 71 वर्ष के थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा और एक बेटी थी।

क़रीब 30 साल तक, हक संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में सबसे गरीब देशों के बातों को सामने रखने वाले अग्रणी चैंपियन थें। उनका रिसर्च विकासशील देशों में जलवायु से प्रभावित समुदायों के ऊपर केंद्रित था। इस शोध के आधार पर वो गरीब देशों के मुद्दों पर रोशनी डालते थे। लंदन में स्थित थिंक टैंक, इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एनवायरनमेंट एंड डेवलपमेंट में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान, हक ने 2001 में समुदाय-आधारित अनुकूलन (सीबीए) को आगे बढ़ाया। इस अवधारणा का मतलब है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कैसे अनुकूलित किया जा सकता है। इसमें यह तय करना भी शामिल है कि समुदाय सबसे अच्छी स्थिति में कैसे हैं, और यह कैसे विशेषज्ञों, वित्तपोषण एजेंसियों और सरकारों का कर्तव्य है कि वे ज़मीन पर प्रभावों का अनुभव करने वाले समुदायों द्वारा दिए गए नेतृत्व का पालन करें। उन्होंने आईआईईडी में जलवायु परिवर्तन अनुसंधान समूह की स्थापना की और अपनी मृत्यु तक वो इससे जुड़े रहें।

क्लाइमेट जस्टिस में सलीम उल ‘हक़’ की ज़रूरी आवाज़

सलीम उल हक 2009 में बांग्लादेश की राजधानी ढाका चले गए और उन्होंने इंटरनेशनल सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज एंड डेवलपमेंट (आईसीसीसीएडी) की स्थापना की। ICCCAD के माध्यम से, हक ने सीबीए के दायरे का विस्तार किया और नुकसान और क्षति के सबूत इकट्ठा किए। वह 2001, 2007 और 2013/14 में जारी तीसरी, चौथी और पांचवीं मूल्यांकन रिपोर्ट में लेखक और प्रमुख लेखक दोनों के रूप में उन्होंने अपना योगदान दिया था। इस पूरे समय के दौरान, सबसे ककमज़ोर देशों और छोटे द्वीप देशों के प्रवक्ता के रूप में वार्षिक संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में उनकी उल्लेखनीय उपस्थिति रही। उन्हें अक्सर वैश्विक जलवायु वार्तालापों में सबसे प्रभावशाली आवाज़ों में से एक कहा जाता है। 2022 में, नेचर पत्रिका ने उन्हें “जलवायु क्रांतिकारी” कहा और उन्हें उस वर्ष विज्ञान को आकार देने वाले दस लोगों में से एक बताया।

सलीम उल हक ने अपने विचारों के बारे में द् थर्ड पोल सहित विभिन्न आउटलेट्स में लिखा। अपने लेखन के अलावा, उन्होंने द थर्ड पोल को लेखों के लिए विचार प्रदान किए और विशेषज्ञ लेखकों का सुझाव दिया। कुछ हफ़्ते पहले उनके जन्मदिन पर, मैंने उन्हें शुभकामनाएँ दी थी और उनसे अनुरोध किया था कि वे वैश्विक अनुकूलन बहस की वर्तमान स्थिति पर एक आर्टिकल लिखें। उन्होंने तुरंत यह कहते हुए जवाब लिखा कि उन्होंने ICCCAD में एक सहयोगी से लेख लिखने का अनुरोध किया था। सहकर्मी ने कुछ दिन पहले लिखा था कि उसने लेख का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है और इसे “सलीम उल सर” के पास भेजने के बाद भेज देगी। वह और हम दोनों अब उससे उसकी अंतर्दृष्टि नहीं मांग सकेंगे।

अनुकूलन से लेकर लॉस एंड डैमेज तक

दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन पर बातचीत करने वाले लोगों ने सबसे पहले हक को अनुकूलन के चैंपियन के रूप में जाना था। अमीर देशों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के तरीके के रूप में हमेशा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया है। आज भी, शमन को जलवायु वित्त का भारी हिस्सा मिलता है। लेकिन हक वह व्यक्ति थे जो 1990 के दशक से कहते रहे कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति अनुकूलन उतना ही ज़रूरी है क्योंकि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पहले से ही लोगों पर पड़ रहे थे, खासकर विकासशील दुनिया में। हक वो नेता थे जिन्होंने वैश्विक जलवायु एजेंडे पर अनुकूलन को लाया था।

लेकिन हक ये भी देख सकते थे कि अनुकूलन की सीमाएं क्या हैं, खासकर तब जब जलवायु परिवर्तन की गति बढ़ती जा रही थी। साल 2012 में दोहा में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में, उन्होंने इस अवधारणा को सामने रखा कि जलवायु से प्रभावित लोगों को होने वाले नुकसान और क्षति के लिए प्रदूषकों को भुगतान करना होगा। इससे विकसित देशों में खतरे की घंटी बज गई। उन्हें इस बात की चिंता सताई कि कही अदालतों में मुआवज़े के मुकदमों की बाढ़ ना आ जाए। लेकिन हक और उनके सहयोगियों ने लॉस एंड डैमेज के सबूत पेश करना जारी रखा और सालों तक यह काम करते रहें। हालांकि उन्हें 2015 के पेरिस जलवायु समझौते के लिए बातचीत के दौरान अमेरिका और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों द्वारा निजी तौर पर चेतावनी दी गई थी कि वे नुकसान और क्षति के मुद्दे को शामिल करने पर ज़ोर दे रहे हैं। पूरे समझौते को पटरी से उतार सकता है।

फिर भी, वह और उनके सहकर्मी इस काम में कायम रहे और एक दिन इसे शामिल कर लिया गया।

हक एक अकादमिक और कार्यकर्ता थें। साथ ही, वो एक कुशल और धैर्यवान वार्ताकार भी थे। दस साल तक, वह नुकसान और क्षति से प्रभावित लोगों को मुआवज़ा देने के लिए एक फंड बनाने पर ज़ोर देते रहे, जब तक कि अमेरिका के नेतृत्व में समृद्ध देशों के मज़बूत प्रतिरोध के बावजूद, अंततः मिस्र में 2022 के संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में इसे स्वीकार नहीं कर लिया गया। फंड की स्थापना के लिए बाद की बातचीत हाल ही में अमेरिका द्वारा विश्व बैंक के भीतर फंड रखने के आग्रह के कारण टूट गई, जबकि सभी विकासशील देश इसे संयुक्त राष्ट्र के नियंत्रण में रखना चाहते हैं। हक अपने क्लाइमेट सर्कल में अपनी निराशा खुलकर व्यक्त करते थे। लेकिन उन्होंने इस उम्मीद में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया कि नवंबर की शुरुआत में नुकसान और क्षति से निपटने वाली अगली बैठक इस मुद्दे को हल कर सकती है।

Harjeet Singh and Saleemul Huq at COP27
हरजीत सिंह (बाएं) और सलीमुल हक हानि और क्षति निधि के प्रचारकों में से दो थे (फोटो: जॉयदीप गुप्ता)

वैश्विक वार्ताओं में सलीम उल हक के शामिल होने के बावजूद उन्होंने कभी भी समुदाय-आधारित अनुकूलन की अनदेखी नहीं की, और समय-समय पर होने वाले सम्मेलनों के पीछे प्रेरक शक्ति थे, जो सीबीए के प्रमुख चिकित्सकों को एक साथ लाए। उनसे मेरी आखिरी मुलाकात 22-25 मई को बैंकॉक में सीबीए की हालिया सभा में हुई थी। अपनी चिरपरिचित मुस्कान और अपने विशिष्ट मृदुभाषी अंदाज के साथ, उन्होंने बांग्ला में मेरा अभिवादन किया, “केमोन आछो” (आप कैसे हैं)? और तुरंत नई अनुकूलन तकनीकों, नए अध्ययनों, नए लेखों पर चर्चा शुरू कर दी।

अब सलीम उल हक आगे बढ़ चुके हैं लेकिन उन्होंने हममें से कई लोगों के लिए जलवायु क्षेत्र में अनुसरण करने के लिए सुझावों की एक समृद्ध विरासत को पीछे छोड़ दिया है।

अपने कमेंट लिख सकते हैं

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.