मुख्यभूमि पर चित्ती वाले तेंदुए के संरक्षण की स्थिति को लेकर एक नये अनुमान की मानें तो इनकी वैश्विक आबादी 3,700 और 5,580 के बीच है। ये आंकड़े परिपक्व चित्ती वाले तेंदुओं के हैं। इस अनुमान के निचले बिंदु से स्पष्ट है कि अब, बाघ- जिनके जंगलों में 4,000 का अनुमान है- की तुलना में बिग कैट, दुर्लभ बन सकती है। नेपाल, हिमालय की तलहटी से पूर्व की ओर दक्षिणी चीन और दक्षिण में मलेशिया तक मुख्य भूभाग में तेंदुआ शायद ही कभी देखा जाने वाला मांसाहारी है, जो अपना अधिकांश जीवन पेड़ों के बीच बिताता है। यह सुमात्रा और बोर्नियो के चित्ती वाले तेंदुए, सुंडा के जैसा है, जिसे 2006 में एक अलग प्रजाति के रूप में पहचान दिया गया था, जो दुनिया की सबसे छोटी ‘बिग कैट’ है।
इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) के आकलन में खतरे वाली प्रजातियों की लाल सूची का उद्देश्य तीन पीढ़ियों में प्रजातियों के संरक्षण की स्थिति में परिवर्तन का आकलन करना है। चित्ती वाले तेंदुए को देखने के मामले में 2021 का आकलन, 2016 के बाद से पहला है। इसमें पाया गया कि पिछली तीन पीढ़ियों (एक बिग कैट के लिए लगभग 20-21 वर्ष) में चित्ती वाले तेंदुए में 30 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है।
चित्ती वाले तेंदुए वियतनाम में पूरी तरह से विलुप्त हो सकते हैं और चीन व बांग्लादेश में ये विलुप्त होने के करीब हो सकते हैं।
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ में टाइगर रिकवरी लीड और एसेसमेंट के प्रमुख लेखक टॉम ग्रे कहते हैं, “मूल्यांकन से पता चला है कि मुख्य भूमि पर चित्ती वाला तेंदुआ एक खतरे वाली प्रजाति बना हुआ है और यह बहुत सारे जंगलों से अनुपस्थित है। म्यांमार, कंबोडिया, वियतनाम और लाओस के स्थानों में, जिनके पास अच्छा आवास है और जहां यह प्रजाति होनी चाहिए थी, वहां भी यह अनुपस्थित है।” सभी श्रेणी की प्रजातियों को लेकर उनके निवास और खतरों के संबंध में एक हालिया विश्लेषण में पाया गया कि पूर्वोत्तर भारत, भूटान, म्यांमार, थाईलैंड और मलेशिया में अभी भी अपेक्षाकृत इसकी व्यापकता है। चित्ती वाले तेंदुए वियतनाम में पूरी तरह से विलुप्त हो सकते हैं और चीन व बांग्लादेश में विलुप्त होने के करीब हो सकते हैं।
इस दुर्लभ कैट को गिनने की चुनौतियां
भारत और नेपाल जैसे देशों में बाघों की संख्या के आंकड़ों के विपरीत, चित्ती वाले तेंदुए का अनुमान, एक-एक की गिनती करके नहीं हो सका। इसके बजाय, एशिया के एक बड़े हिस्से में जहां यह अध्ययन किया गया, वहां से चित्ती वाले तेंदुए के घनत्व के सामान्य आंकड़ों के आधार पर इसे सामने लाया गया। तथ्य यह है कि इस तरह के बहुत कम आंकड़े प्रकाशित किए गए हैं। निवास स्थान और खतरों के संदर्भ में देखें तो इनकी श्रेणियों में बहुत विभिन्नता है। इसका मतलब यह है कि संख्याओं और रुझानों के समग्र अनुमानों के साथ, इस पर बात करना बहुत चुनौतीपूर्ण है।

ग्रे कहते हैं कि यह बहुत अधिक स्तर तक, एक अनुमान भर है। हम जो भी मान रहे हैं, वह, निवास स्थान के नुकसान, शिकार के रुझान, वन्यजीव व्यापार की जानकारी, जंगल में इनको पकड़ने के लिए शिकारियों द्वारा लगाए गये स्नेर्स की संख्या के आधार पर है। चित्ती वाले तेंदुए के घनत्व पर सूचनाएं एकत्र करने के लिए, ग्रे, ने हर उस देश के शोधकर्ताओं की एक टीम के साथ काम किया, जहां यह प्रजाति होती है (चीन के अपवाद के साथ)। वनों की कटाई दर, अवैध शिकार की व्यापकता और वन्यजीव व्यापार जैसे खतरों को ध्यान में रखते हुए, जनसंख्या और प्रवृत्तियों का अनुमान लगाने के लिए, प्रजातियों की ज्ञात सीमा के प्रति इसे मैप किया गया।
एक लॉन्जिटूडनल स्टडी क्या है?
एक अध्ययन जो किसी समय अवधि के बीच परिवर्तनों और प्रवृत्तियों को प्रकट करने के लिए तुलनीय आंकड़े एकत्र करता है।
लाओस में वाइल्डलाइफ़ कंज़र्वेशन सोसाइटी के संरक्षण विज्ञान निदेशक अक्चौसन रासफ़ोन ने समय के साथ चित्ती वाले तेंदुओं की निगरानी के संबंध में एक अध्ययन किया है, जो बहुत कम अध्ययनों में से एक है। उत्तरी लाओस के संरक्षित क्षेत्र में 2013 और 2017 के बीच कैमरा ट्रैप के साथ किए गए उनके शोध में आबादी के रुझान को ट्रैक करने के लिए एक-एक करके जानवरों की उपस्थिति दर्ज की गई। उनके इस अध्ययन के हिसाब से इसकी आबादी में गिरावट पाई गई।
अक्चौसन रासफ़ोन कहते हैं कि दुर्भाग्य से यह काम इतना ज्यादा और इतना महंगा है कि आप वास्तव में पूरे लाओस के लिए ऐसा नहीं कर सकते हैं। इसके बजाय, आईयूसीएन मूल्यांकन के लेखकों ने नॉन-लॉन्जिटूडनल स्टडी से मुख्य भूमि के चित्ती वाले तेंदुए के घनत्व अनुमानों पर आंकड़े एकत्रित किये। यहां तक कि यह आंकड़े भी बहुत कम हैं।
एक गैर-सरकारी संगठन अरण्यक में लीगल एंड एडवोकेसी डिवीजन के वरिष्ठ प्रबंधक और मूल्यांकन के सह-लेखक जिमी बोरा बताते हैं कि कैसे भारत में, बाघों जैसी अन्य प्रजातियों पर लक्षित अध्ययनों के दौरान कैमरे के ट्रैप पर कैप्चर की गई जानकारी से, चित्ती वाले तेंदुए के घनत्व पर अधिकांश आंकड़े आते हैं। बोरा कहते हैं, “घनत्व का अनुमान लगाने के लिए आपको एक मजबूत संख्या की आवश्यकता है, और चित्ती वाले तेंदुओं के लिए ऐसे आंकड़े बहुत दुर्लभ हैं।”
चित्ती वाले तेंदुओं के सामने अनेक खतरे
आईयूसीएन मूल्यांकन एक ऐसी प्रजाति की तस्वीर पेश करता है जो अपनी अधिकांश सीमाओं में, विशेष रूप से दक्षिण पूर्व एशिया में, अपने अस्तित्व के लिए खतरे का सामना कर रही है। “मुख्य भूमि के चित्ती वाले तेंदुए के लिए सबसे बड़ा खतरा अवैध शिकार है। इनको निशाना बनाने के लिए स्नेर्स का इस्तेमाल किया जाता है। कई बार ये अन्य जानवरों के लिए बिछाए गये स्नेर्स में भी फंस जाते हैं” ग्रे ने बताया।

स्नेर्स – जंगलों में बिछाए गए साधारण तार वाले जाल हैं, जो इनके बीच से गुजरने वाले किसी भी जानवर को पकड़ लेते हैं- दक्षिण पूर्व एशिया के अधिकांश हिस्सों में जानवरों की संख्या में भारी गिरावट के पीछे एक प्रमुख कारक है। रासफोन कहते हैं, “कुल मिलाकर दक्षिण पूर्व एशिया में स्नेर्स बिछाना एक बड़ा खतरा है। इसे जंगलों में लगाना बहुत आसान है, यह सस्ता है और यह प्रजातियों के बीच भेदभाव नहीं करता है।”
एक बार पकड़े जाने के बाद – चाहे लक्षित शिकार हो या अचानक से पकड़ में आने वाला – चित्ती वाले तेंदुए के अंग, तुरंत अवैध वन्यजीव व्यापार का हिस्सा बन जाते हैं। कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन इन्डैनजर्ड स्पीशीज ऑफ वाइल्ड फाउना एंड फ्लोरा (सीआईटीईएस) के तहत चित्ती वाले तेंदुए के अंगों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर प्रतिबंध है। लेकिन म्यांमार-चीन और म्यांमार-थाईलैंड की सीमाओं के आसपास वाले क्षेत्रों में अवैध वन्यजीव व्यापार से जुड़े बाजारों में चित्ती वाले तेंदुए के अंगों की खरीद-फरोख्त काफी सामान्य है।
एक ईमेल में, म्यांमार के एक एनजीओ, वाइल्डलाइफ एंड इकोसिस्टम कंजर्वेशन एक्शन नेशनवाइड के संस्थापक और म्यांमार में बिग कैट्स सहित वन्यजीव व्यापार के कई अध्ययनों के लेखक, सपाय मिन बताती हैं कि कोविड-19 महामारी आने से कुछ दिनों पहले ही किए गए सर्वेक्षणों के मुताबिक सीमा से सटे हुए बाजारों में अभी भी इस तरह के व्यापार सक्रिय हैं। वह बताती हैं कि सबसे ज्यादा व्यापार चित्ती वाले तेंदुए की खाल की होती है। उसके बाद क्रमशः उनकी खोपड़ी और केनाइन की खरीद-फरोख्त होती है। इन सबका मुख्य रूप से सजावट में इस्तेमाल होता है।


चित्ती वाले तेंदुए की खाल विशिष्ट होती है। जबकि हड्डियों और दांतों को बाघ के हड्डियों और दातों के जैसा माना जा सकता है, जिनका सजावटी उपयोग और पारंपरिक चीनी चिकित्सा में भारी मांग है।
बोरा, 2018 में मानस, असम के आसपास वन्यजीव तस्करी पर अपने शोध से ऐसे मामलों को याद करते हैं। वह बताते हैं, “अधिकारियों ने एक अपराधी को रंगे हाथों पकड़ लिया था, जिनका गिरोह बाघ के दांत और हड्डियों के रूप में, चित्ती वाले तेंदुए के दांत और हड्डियों को बेचने की कोशिश कर रहा था।”
निवास के नुकसान और स्थानीयता विलुप्त होने के कारण इस बिग कैट की आबादी तेजी से गिरती जा रही है। आनुवंशिक विविधता की कमी भी इसके दीर्घकालिक अस्तित्व के लिए खतरा बन गई है। इस मूल्यांकन के एक अन्य सह-लेखक व्याट पीटरसन कहते हैं, “निश्चित रूप से अवैध शिकार के हालात से निपटने जितना अत्यावश्यक तो नहीं, लेकिन इनब्रीडिंग भी एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर काम करना होगा।” थाईलैंड के खाओ याई नेशनल पार्क में कम से कम एक चित्ती वाले तेंदुए की तस्वीर खींची गई है, जिसकी पूंछ में एक असामान्य ऐंठन है। यह एक ऐसी विशेषता है जो फ्लोरिडा पैंथर्स जैसी अन्य बिग कैट्स में भी सामने आ चुकी है। पीटरसन बताते हैं, “ऐंठन जैसी पूंछ वाली फ्लोरिडा पैंथर्स में भी, हृदय दोष, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली और प्रजनन संबंधी समस्याएं थीं, जिससे उसके समग्र प्रजनन फिटनेस और जीवित रहने की संभावना कम हो गई थी। क्या चित्ती वाले तेंदुओं के लिए भी यही सच है, यह देखा जाना बाकी है।”

थाईलैंड के खाओ याई नेशनल पार्क में 2010 में एक चित्ती वाले तेंदुए की तस्वीर, कैमरा ट्रैप से सामने आई। इसकी पूंछ में एक असामान्य ऐंठन है जो अन्य कैट स्पीशीज के इनब्रीडिंग के कारण है। (Image: Dusit Ngoprasert)
एक और भी अधिक खतरे वाली प्रजाति?
2021 के इस आकलन के बावजूद कि चित्ती वाले तेंदुओं की संख्या में भारी आ रही है और कुछ हिस्सों में इसकी गिरावट बहुत तेजी से हो रही है, आईयूसीएन द्वारा इसको ‘लुप्तप्राय’ सूची में स्थानांतरित नहीं किया गया। इसलिए इसके समग्र खतरे की स्थिति ‘संवेदनशील’ बनी हुई है। यह आईयूसीएन रेड लिस्ट के मानदंड की सख्त प्रकृति के कारण है। ‘लुप्तप्राय’ के रूप में सूचीबद्ध होने के लिए, एक प्रजाति में 10 वर्षों या तीन पीढ़ियों में कम से कम 50 फीसदी की गिरावट या गिरावट की उम्मीद होनी चाहिए, या बहुत छोटी वैश्विक सीमा या आबादी होनी चाहिए। वास्तव में, चित्ती वाला तेंदुआ इनमें से पहले मानदंड को अच्छी तरह से पूरा कर सकता है। आईयूसीएन के आकलन में कहा गया है कि बांग्लादेश, कंबोडिया, चीन, लाओस, म्यांमार और वियतनाम में लक्षित अवैध शिकार, स्नैर्स लगाने और आवास के नुकसान के कारण 1999 के बाद से आबादी में “30 फीसदी से अधिक” की गिरावट की आशंका है। यदि आबादी को कहीं और स्थिर मान लिया जाए तो किसी प्रजाति की श्रेणी के कुछ हिस्सों में भारी गिरावट, समग्र स्थिति के रूप में परिलक्षित नहीं हो सकती है। मुख्य भूमि के चित्ती वाले तेंदुए के आकलन ने इस धारणा पर काम किया – कुछ सबूतों के आधार पर लेकिन सबूत के रूप में ठोस आंकड़ों के बिना – कि इनकी आबादी भारत, नेपाल, भूटान और थाईलैंड जैसे अन्य देशों में काफी हद तक स्थिर है।
व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है कि चित्ती वाले तेंदुए को संवेदनशील श्रेणी के रूप में जारी रखने के बजाय लुप्तप्राय माना जाना चाहिए।जिमी बोरा, अरण्यक
ग्रे कहते हैं, “यदि वास्तव में हमें वह धारणा गलत लगी है, और यदि वास्तव में पूर्वोत्तर भारत में स्थिति में गिरावट आ रही है, या भविष्य में उसी तरह के स्तर पर गिरावट आ सकती है, जैसा कि दक्षिण पूर्व एशिया में हुआ है, तो यह ऊपर की सूची में रखे जाने योग्य हो सकता है।” बोरा कहते हैं, “व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है कि चित्ती वाले तेंदुए को संवेदनशील श्रेणी के रूप में जारी रखने के बजाय लुप्तप्राय माना जाना चाहिए।”
बोरा यह भी कहते हैं, “अगर अवैध वन्यजीव व्यापार अन्य देशों- जैसे कि मलेशिया और नेपाल, जो कि अभी कम प्रभावित हैं- में फैलता है, तो स्थितियां शायद बदल जाएंगी। वह जोर देकर कहते हैं कि भारत और नेपाल जैसे देशों में अपेक्षाकृत स्थिर आबादी, मजबूत सुरक्षा कानूनों, संरक्षित क्षेत्रों में अवैध शिकार विरोधी गतिविधियों और सरकारी सहयोग के लिए धन्यवाद है। अगर लाओस, कंबोडिया और वियतनाम जैसे देशों में इस तरह की मजबूत सुरक्षा प्रदान नहीं की जाती है, तो मुझे लगता है कि न केवल चित्ती वाले तेंदुए बल्कि अन्य स्तनधारियों का भविष्य बहुत ही अंधकारमय है।