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बांग्लादेश में बाढ़ से बचने के लिए स्थानीय प्राकृतिक समाधान है बाड़

मानसून के दौरान नदी में कटाव को रोकने के लिए बांस का बाड़ लगाना एक सस्ता और प्राकृतिक तरीका है
<p>Jinjiram River. Image source: Anup Sadi </p>

Jinjiram River. Image source: Anup Sadi

भारत के असम से बांग्लादेश की ओर बहने वाली एक छोटी सी नदी जिन्जीराम के तट पर रहने वाले लोग हर मानसून में इसके पानी को बहाव को कम करने के लिए एक अभिनव प्रयोग करते हैं। वे तटीय इलाकों में बांस के बड़े-बड़े बाड़ लगाते हैं। देशी ज्ञान के आधार पर, यह कम लागत वाला समाधान तटों को क्षरण से बचाता है। बाड़, मानसून के पानी के प्रवाह की गति को कम करता है। गाद उसके बगल में इकट्ठा हो जाता है और यह बाढ़ से प्राकृतिक बचाव का काम करता है।

तट के किनारे संवेदनशील हिस्सों काफी सारे बाड़े लगा दिये जाते हैं। स्थानीय लोगों इस प्रक्रिया के लिए बंडलिंग शब्द का प्रयोग करते हैं जो अंग्रेजी के बंडल से लिया गया है।

जिंजीराम

शक्तिशाली नदी ब्रह्मपुत्र के बाएं किनारे के पास उसके समानांतर बहते हुए, छोटी जिंजीराम बांग्लादेश के उत्तरी जिले कुरीग्राम में प्रवेश करती है। यह ब्रह्मपुत्र में शामिल होने से पहले 60 किलोमीटर बहती है। यह अन्य पारवर्ती नदियों की तुलना में छोटी है, जो इस क्षेत्र में ब्रह्मपुत्र में मिलती हैं जैसे तीस्ता, दुधकुमार या धारला। लेकिन जिन्जीराम की अपनी छोटी सहायक नदियां भी हैं – कालो और दोनी नदी।

वर्ष के आठ महीने जिंजीराम चुपचाप उन हजारों लोगों का भरण-पोषण करती है जो इसके तटों के पास रहते हैं। यह मानसून के दौरान जून से सितंबर के दौरान बदलती है। यह मेघालय पठार के ढलानों पर बहने वाले वर्षा के पानी से विकराल हो जाती है। अपने तटों को काटते हुए और कई बार बाढ़ से आजीविका, जैसे मछली पकड़ने का काम और कृषि नष्ट करने लगती है। बड़ी नदियों में सरकार ठोस तटबंध बनाती है। बांग्लादेश में 240 वर्ग किलोमीटर के बेसिन क्षेत्र के साथ जिंजीराम जैसी छोटी नदियां उपेक्षित हैं। इसलिए, स्थानीय लोग इकट्ठा होकर बंडलिंग करते हैं।

बंडलिंग क्या है?

बांस जो 25-30 फीट (8-10 मीटर) लंबे होते हैं, उन्हें एक साथ रखा  जाता है और फिर पूरे बाड़ को कम से कम 15 फीट (5 मीटर) गहरे नाले में डाला जाता है। सीधे लगाये गये बांस और टेढ़े लगाये गये बांस, दोनों एक-दूसरे को मजबूती देते हैं। बाड़ का आकार जल प्रवाह पर निर्भर करता है कि उस बिंदु पर पानी का प्रवाह कैसा है। पानी की गति को और कम करने के लिए कुछ बाड़ तटों के पास लगा दिये जाते हैं।

जिंजीराम में जगह-जगह बांस के बाड़ देखने को मिल जाएंगे [image by: Munir Hossain]
जिंजीराम में जगह-जगह बांस के बाड़ देखने को मिल जाएंगे [image by: Munir Hossain]
जिंजीराम में, इस तरह के बाड़ नदी में हर कुछ सौ मीटर की दूरी पर स्थापित किए जाते हैं, जिससे संवेदनशील स्थान तक पहुंचने से पहले पानी के प्रवाह को कम किया जा सके। गाद जो बाड़ के बीच में इकट्ठा होती है वह पानी के धारा के प्रवाह को कम करने में मददगार साबित होती है।

सामुदायिक समाधान

जिंजीराम में अब पहले से ज्यादा बाड़ लगाये जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों के अनुसार, बांग्लादेश में नदी के 60 किलोमीटर के हिस्से में कम से कम 50 जगह बाड़ लगाये जाते हैं, जहां इसकी अधिकतम चौड़ाई 107 मीटर है। बाड़ लगाने का हर चरण, योजना बनाने से लेकर लगाने तक, स्थानीय जरूरतों और प्रयासों पर आधारित है। जब निवासी देखते हैं कि तटों के क्षरण होने लगा है, तो वे एकत्रित हो जाते हैं और एक समिति बनाते हैं, जो इन कामों का नेतृत्व करती है। इन कामों में धन जुटाना और निर्माण कार्य करना इत्यादि शामिल है।

2018 में, नामापारा गांव के निवासियों ने नदी के 22 हिस्सों में बाड़ लगाये, जिनमें से प्रत्येक की चौड़ाई 10 से 30 फीट के बीच थी। सभी में, उन्होंने मानसून के दौरान पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने और अपने गांव को बचाने के लिए 400 फीट के बाड़ लगाये। इसकी कीमत लगभग 300,000 बीडीटी (3,500 अमेरिकी डॉलर) हुई और इसका भुगतान पूरी तरह से स्थानीय लोगों ने खुद किया। जो लोग पैसा देने में असमर्थ थे, उन्होंने परियोजना पर काम किया। यही प्रक्रिया हर कुछ वर्षों में मरम्मत कार्य की आवश्यकता होने पर अपनाई जाती है।

बाड़ लगाने वाली गांव की कमेटी के सचिव मुर्तुज़ा अली ने www.thethirdpole.net को बताया, “हम अपनी ज़मीन, फसलों, घरों, वनस्पतियों और अन्य सामानों को नदी के कटाव से बचाने के लिए ऐसा करते हैं।” अली ने कहा कि नदी के किनारे हर कुछ किलोमीटर पर इस तरह की बाड़ पाए जा सकते हैं। तथ्य यह है कि यहां के निवासी को इस तरह की परियोजना पर पैसा खर्च करने के लिए तैयार हैं क्योंकि ये तकनीक प्रभावी है। बाड़ लगाने का खर्च और श्रम स्थानीय लोगों की तरफ से किया जाता है।

इसको लगाने का खर्च और श्रम स्थानीय लोग वहन करते हैं। [image by: Munir Hossain]
इसको लगाने का खर्च और श्रम स्थानीय लोग वहन करते हैं। [image by: Munir Hossain]

विशेषज्ञों की सहायता

सरकारी थिंक-टैंक, इंस्टीट्यूट ऑफ वाटर मॉडलिंग के वरिष्ठ जल संसाधन विशेषज्ञ सैफुल आलम ने कहा, “नदी के कटाव के खिलाफ रक्षा के लिए बाड़ एक विश्वसनीय तरीका है। यह छोटी नदियों में बहुत अच्छी तरह से काम करता है। साथ ही यह कम लागत वाला और स्थानीय समाधान है। कुछ तकनीकी इनपुट को जोड़ने पर, बड़ी नदियों में आसानी से इस विधि का उपयोग किया जा सकता है। आलम, पहले बांग्लादेश के जल संसाधन योजना संगठन के महानिदेशक के रूप में काम कर चुके हैं, कहते हैं, नदीतट संरक्षण प्राधिकरण को बाड़ लगाने की इस परियोजना में कोई दिलचस्पी नहीं लगती है, इसके पीछे का एक कारण शायद ये है कि इसकी लागत कम है।

सरकार चैनल के मुख्य भाग में पानी के प्रवाह को रोकने के लिए कटाव की चपेट में आने वाली नदियों के पास नदियों में ‘ हार्ड पॉइंट ’नामक कंक्रीट संरचनाओं का निर्माण कर रही है। सरकार कटाव के लिहाज से नाजुक तटों के नदियों में कंक्रीट के स्ट्रक्चर बना रही है जिसे हार्ड प्वाइंट्स कहा जाता है। इससे पानी के प्रवाह को चैनल के मुख्य हिस्से में मोड़ दिया जाता है। पूरे दक्षिण एशिया में कंक्रीट वाली कई तटबंध परियोजनाएं देरी और भ्रष्टाचार के विवादों में घिरी हुई हैं।

ब्रिटिश औपनिवेशिक काल से लेकर दक्षिण एशिया की गाद से भरी नदियों में तटबंधों के उपयोग पर बहस चल रही है, लेकिन जन दबाव के साथ-साथ राजनीतिक और मौद्रिक हितों के कारण तटबंधों का उपयोग जारी है। हालांकि, अब प्रकृति-आधारित समाधानों पर विचार करने के लिए दुनिया भर में प्रयास हो रहे हैं। प्रकृति को नियंत्रित करने के बजाय इसके साथ रहने की तरफ कदम बढ़े हैं। बांग्लादेश यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी  के जल संसाधन विशेषज्ञ और प्रोफेसर, अताउर रहमान ने कहा, “कंक्रीट हार्ड प्वाइंट्स बनाने के लिए उन्नत तकनीक और वित्तीय संसाधन नहीं होने की स्थिति में लोग बाड़ लगाते हैं। यह ब्रह्मपुत्र जैसी सभी नदियों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता, जहां मानसून में प्रवाह बहुत ज्यादा होता है।” हालांकि, यह विधि छोटी नदियों के लिए एक अस्थायी समाधान के रूप में उपयुक्त हो सकती है। ढाका स्थित एनजीओ, रिवरइन पीपल के महासचिव शेख रोकोन का पालन-पोषण उत्तरी बांग्लादेश के इसी क्षेत्र में हुआ है। वह कहते हैं, “ब्रह्मपुत्र बेसिन में बाड़ लगाने की ये प्रक्रिया नई नहीं है। यह लंबे समय से स्थानीय लोगों द्वारा प्रचलित है। लेकिन कंक्रीट स्ट्रक्चर की मौजूदा प्रथा बाड़ के उपयोग को कम कर रही है। यह नदी और इसके संसाधनों को बचाने के लिए प्राकृतिक समाधानों में से एक है।”

Abu Siddique ढाका के पत्रकार हैं

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